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| Photo: asiaexplorers | 
जिनकी ज़मीन हमारे पाँव न छू पायेंगे 
जिनका छत हमारी पहुँच से बाहर होगी 
जहाँ पर मिट्टी ज़मीन का नाता न होगा
मिट्टी सिर्फ़ उड़ती धूल होगी 
जहाँ आसमान पर भी ताले होंगे 
आसमान सिर्फ़ हवाई जहाज़ की गूँज में होगा 
गाड़ियों की शोर होगी
आदमियों, औरतों और बच्चों की चीखा-चिल्ली मिलेगी
पानी जहाँ सूख चुकी होगी 
पेड़ जहाँ गमलों में जीते हैं 
हम रहेंगे उन दीवारों के साथ 
ज़मीन और आसमान के बीच कहीं त्रिशंकु की तरह
लटके हुए हम किसी मालदार की जेब भरेंगे 
दीवारें सारी-की-सारी उन्ही की तो हैं
 
 

 




 

 

 
 
 
 
 

